कंप्यूटर सामान्य जानकारी (General knowledge of Computer )

हमारे हिंदीदुनियाहब ब्लॉग पर आपका स्वागत है |  आज के इस पोस्ट में हम कंप्यूटर की सामान्य जानकारी के बारे में जानेंगे  जैसे  कि - कंप्यूटर क्या है ? , कंप्यूटर डाटा सरंचना , सुचना प्रौद्योगिकी , कंप्यूटर नेटवर्क और कंप्यूटर नेटवर्क के प्रकार, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस, प्रोग्रामिंग भाषाएँ , कंप्यूटर  वायरस  आदि | 
उम्मीद करते है की आपको यह पोस्ट पसंद आएगी | 

 कंप्यूटर क्या है  (What is computer?)

एक कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जो अपनी स्मृति में संग्रहीत निर्देशों के नियंत्रण में चल रहा है जो डेटा (इनपुट) को स्वीकार कर सकता है, निर्दिष्ट नियमों के अनुसार डेटा को संसाधित कर सकता है, जानकारी का उत्पादन (उत्पादन) कर सकता है, और भविष्य में उपयोग के लिए जानकारी को स्टोर कर सकता है । किसी भी प्रकार के कंप्यूटर में हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर होते हैं।


कंप्यूटर डाटा सरंचना 

कंप्यूटर एक बहुत ही उपयोगी है |  कंप्यूटर यूजर द्वारा दिए हुए सभी प्रकार के निर्देशों को गणना के लिए संग्रहित करता है जैसे - संख्या, नंबर, टेक्स्ट, ग्राफ़िक्स, चित्र इत्यादि |  यह सभी डाटा तथा निर्देश अलग परन्तु कंप्यूटर इन सभी डाटा तथा निर्देशों को बाइनरी भाषा में बदल कर संग्रहित करता है | बाइनरी एक मशीन की भाषा है जिसका आधार सिर्फ दो संख्याए है -0 तथा १ | यूजर द्वारा  दिए गए सभी निर्देश बाइनरी भाषा में 0 तथा 1 में परिवर्तित हो जाते है | इस प्रक्रिया को डाटा निरूपण कहते है | डाटा निरूपण के लिए दो तरीके होते है - 

1 एनालॉग क्रियायें 
2 डिजिटल क्रियायें 

1 एनालॉग क्रियायें (Analog Operations) -

एनालॉग क्रियायें  लगातार परिवर्तनशील संकेत पर आधारित है |  इनमे अंको का प्रयोग नहीं होता है |  एनालॉग क्रियाओ  का प्रयोग विज्ञान  और इंजीनियरिंग  के बहुत से क्षेत्रों  में किया जाता है क्योकि इन क्षेत्रों  में भौतिक मात्राओं  का उपयोग अधिक किया जाता है जैसे स्पीडोमीटर , ओडोमीटर, वोल्ट्मीटर, थर्मामीटर आदि | 

2 डिजिटल क्रियायें  (Digital Operations) -

आधुनिक कंप्यूटर डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक सर्किट  द्वारा निर्मित होते है |  इस सर्किट का मुख्य भाग ट्रांजिस्टर होता है जो दो अवस्थाओं  0  और 1 में कार्य करता है |  कंप्यूटर में डाटा को व्यक्त करने वाली इन दो अवस्थाओं को सम्मिलित रूप से बाइनरी संख्या प्रणाली कहते है | 

बाइनरी डाटा को स्टोर करने के लिए एक प्रणाली बनाई गई है, जिसकी सबसे छोटी इकाई बिट है | 

4 बिट्स  = 1 निबल 
8 बिट्स  = 1 बाइट 
1024  बिट्स  = 1 किलोबाइट  (KB)
1024 किलोबाइट  = 1 मेगाबाइट (KB)
1024 मेगाबाइट  = 1 गीगाबाइट (KB)
1024  गीगाबाइट  = 1 टेराबाइट (KB)


सुचना -प्रौद्योगिकी 

परिचय  (Introduction) 
कंप्यूटर  विकास कई दसकों  पहले ही हो चूका है, परन्तु आधुनिक युग में कंप्यूटर की क्षमता,गति, आकार  एवं  अन्य कई विशेषताओं में आश्चर्यजनक बदलाव हो रहे हैं | इन सभी सूचनाओं में सुचना प्रौद्योगिकी के अविष्कार ने कई असंभव बातों  को संभव बना दिया है |  हम घर बैठे दूर स्थित अपने किसी दोस्त और संबंधी  के साथ चैटिंग करना, रेलवे-वायुयान टिकट आरक्षित  करा सकते है | कंप्यूटर के विकास के साथ-साथ सुचना प्रौद्योगिकी भी विकास के रास्ते  पर  अग्रसर है | सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग डाटा संचार के रूप में, व्यापार, घर,बैंको आदि जगहों पर मुख्य  रूप से किया जाता है | दुसरो शब्दों में ज्ञान की नई  शाखा को सुचना प्रौद्योगिकी कहते है | 


सुचना-प्रौद्योगिकी के मौलिक घटक (Fundamental Ingredient of IT) 

संचार प्रक्रिया, कंप्यूटर नेटवर्क, इ-मेल आदि सुचना प्रौद्योगिकी के मौलिक घटक  है | इनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है - 

संचार-प्रक्रिया  (Communication Process )

दो विभिन्न  या सामान डिवाइसों के मध्य डाटा और सूचनाओं के आदान प्रदान डाटा संचार और इस सम्पूर्ण  प्रक्रिया को  संचार-प्रक्रिया कहते है | संचार-प्रक्रिया निम्नलिखित माध्यमों के द्वारा संपन्न होता है - 

1 सन्देश 
2 प्राप्तकर्ता 
3 प्रेषक 
4 माध्यम 
5 प्रोटोकॉल 

कंप्यूटर नेटवर्क (Computer Network )

सूचनाओं या  अन्य संसाधनों के परस्पर आदान-प्रदान और साझेदारी के लिए दो या दो से अधिक कम्प्यूटरों का परस्पर जुड़ाव  कंप्यूटर नेटवर्क कहलाता है | कंप्यूटर नेटवर्क के अंतर्गत संसाधनों और सूचनाएं एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर तक सामान रूप से पहुँचती है | कंप्यूटर नेटवर्क एक कंपनी अथवा भवनों, एक कमरे तथा  शहर  के मध्य स्थापित किये जाते है | 


नेटवर्क के प्रकार  (Types of Network)

नेटवर्क विभिन्न प्रकार के होते है परन्तु मुख्यतः नेटवर्क तीन प्रकार के होते है | 


1  लोकल एरिया नेटवर्क-लैन  ( Local Area Network )
वह नेटवर्क जो केवल एक भवन, कार्यालय अथवा एक कमरे तक सीमित होते है, लोकल एरिया नेटवर्क कहलाते है | इस  अंतर्गत कई कंप्यूटर आपस में संयोजित  रहते है |  परन्तु भौगोलिक क्षेत्र एक या दो किमी से अधिक नहीं होता है| रिंग , स्टार  कम्प्लीटली कनेक्टेड नेटवर्क अड्डी लैन  के उदाहरण है | 


2 मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क-मैन  (Metropolitan Area Network )

एक या एक से लोकल एरिया नेटवर्कों   को एक साथ जोड़कर बनाये गए नेटवर्क को मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क कहते है | यह नेटवर्क वृहद् स्तरीय नेटवर्क है, जो कई कॉर्पोरेटों  से मिलकर बना होता है | मैन  की गति अत्यधिक तीव्र होती है, परन्तु लैन  की अपेक्षा धीमी होती है | 



वाइड एरिया नेटवर्क-वैन ( Wide Area Network - WAN)

वह नेटवर्क जो मंडलीय,राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय  और प्रादेशिक स्तर  पर जोड़े जाते है, वाइड एरिया नेटवर्क कहलाते है |  वैन  में उपग्रह द्वारा कंप्यूटर टर्मिनलों को आपस में जोड़ा जाता है | उदाहरण के लिए कोरबा में रहकर रायपुर से दिल्ली का आरक्षण करना या  न्यूयोर्क से इटली की फ्लाइट  का आरक्षण केवल वािण द्वारा ही संभव है | वैन  की गति, लैन  तथा मैन  की अपेक्षा काम होती है | 


माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 

परिचय  (Introduction)

माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस परस्पर संबधित  डेस्कटॉप अनुप्रयोगों और सेवाओं का समूह है, जिसे सामूहिक रूप से ऑफिस सूट कहा  जाता है |  माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस पहले सन 1989  में माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन  द्वारा मैक -os
के लिए शुरू  किया गया | उसके बाद सन  1990 में विंडोज के लिए प्रथम वर्शन लाया गया |  माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 3.0  ऑफिस सूट का विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रथम वर्शन था | उसके बाद माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 4.3 माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 95 माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 2000, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 3003 , माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 2010 है | माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के अंतर्गत मुख्यतः  चार प्रोग्राम आते है - 

1 माइक्रोसॉफ्ट वर्ड 
2 माइक्रोसॉफ्ट एक्सल 
3 माइक्रोसॉफ्ट एक्सेस 
4 माइक्रोसॉफ्ट पावर पॉइंट 

ऍमएस ऑफिस के ये प्रोग्राम अलग-अलग प्रकार के कार्यों को करने के लिए प्रयोग में लाये जाते है, लेकिन इन सभी की कार्यप्रणाली लगभग एक जैसी होती है |  जिसमे किसी  एक प्रोग्राम पर कार्य करना सिखने के बाद अन्य प्रोग्रमों  को सीखना सरल हो जाता है | यही नहीं एम् एस  ऑफिस के एक प्रोग्राम दूसरे प्रोग्राम में कोई चित्र, सामग्री और सूचनाएं लाना ले जाना सरल हो जाता है  इसलिए इनसे हर प्रकार के मिश्रित कार्य का भी कम्प्यूटरीकरण किया जा सकता है |  


कम्प्यूटर वायरस 

परिचय (Introduction)
कंप्यूटर  वायरस अपने आप कंप्यूटर में आ  जाने वाला प्रोग्राम कोड है,  बाहरी  स्त्रोत द्वारा तैयार किया जाता है | दुनिया  पहला कंप्यूटर वायरस एल्क क्लोनर  था, जो इन द वाइल्ड ने प्रकट किया था |  यह  कंप्यूटर वायरस एप्पल डॉस 3.3  ऑपरेटिंग सिस्टम में फ्लॉपी डिस्क के जरिये फैलता है |  कंप्यूटर वायरस  हमारे कंप्यूटर में तबाही लाने  वाला  प्रोग्राम होता है , जो आपकी फाइलों और ऑपरेटिंग सिस्टम में उपस्थित  सूचनाओं को बिना  आपकी जानकारी और चेतावनी के हानि पंहुचा सकता है |  कंप्यूटर वायरस के फैलने का सबसे आसान जरिया नेटवर्क,इंटरनेट और ई -मेल का बढ़ता हुआ उपयोग है | आमतौर पर कंप्यूटर वायरस आपके कंप्यूटर में निम्न प्रकार  से आ सकता है -

1 संक्रमित प्रोग्राम के उपयोग से 
2 संक्रमित फाइल के उपयोग से  
3 संक्रमित फ्लॉपी डिस्क के साथ डिस्क ड्राइव में कंप्यूटर बूट करने से 
4 पायरेटेड सॉफ्टवेयर के उपयोग से 

कंप्यूटर वायरस अपने आप जनरेट  नहीं होते, बल्कि ये वायरस लोगो द्वारा पूरी सूझ-बुझ  से तैयार किये गए प्रोग्राम होते है |  कुछ लोग इसे अपने कंप्यूटर की  सुरक्षा के लिए प्रयोग करते है तो कुछ लोग इसे विध्वंश मचाने  के लिए तैयार करते है | 

कंप्यूटर वायरस के प्रकार -
वायरस कई प्रकार के होते है, परन्तु अधिकांश वायरस को मुख्यतः  तीन भागों  में बांटा  गया है 

1 बूट सेक्टर 
2 फाइल वायरस 
3 मैक्रो वायरस 


महत्तवपूर्ण प्रोग्रामिंग  भाषाएँ 

परिचय  (Introduction)

कंप्यूटर एक मशीन है और वह हमारी बोलचाल की भाषा को समझ नहीं सकता|  इसके लिए प्रोग्राम, विशेष प्रकार की भाषा में लिखे जाते है | इन भाषाओं  को प्रोग्रामिंग  लैंग्वेज के नाम से जानते है | आजकल ऐसी सैकङो  भाषाएँ प्रचलन में है |  ये भाषाएँ कंप्यूटर और प्रोग्रामर के बीच  संपर्क या फिर संवाद स्थापित करने का काम करती है | कम्प्यूटर उन्ही के माध्यम से दिए गए निर्देशों को समझकर  काम करता है | कंप्यूटर  द्वारा किये जाने वाले अलग अलग कार्यो के लिए अलग अलग तरह की लैंग्वज  का प्रयोग करता है | इनमे से कुछ प्रमुख प्रोग्रामिंग  लैंग्वेज इस प्रकार है - 

लो-लेवल  लैंग्वेज  (Low level Language)

वे लैंग्वेज  जो कंप्यूटर की आंतरिक कार्यप्रणाली को ध्यान में रखकर बनाई गई है  लो लेवल लैंग्वेज कहलाती है|  इसमें प्रोग्राम लिखने वाली व्यक्ति को कंप्यूटर की आंतरिक  क्रिया प्रणाली की जानकारी होना जरुरी है | इसको निम्न स्तरीय लैंग्वेज  इसलिए कहा  जाता है क्योकि इसमें प्रोग्राम लिखना पूरी तरह से उस कंप्यूटर पर निर्भर करता है  जिस पर यह लिखा जा रहा है | इस लैंग्वेज को पुनः दो अन्य भाषाओ में बांटा  जा सकता है | 

1 मशीन लैंग्वेज  (Machine Language )

कंप्यूटर एक मशीन है जो केवल विद्युत संकेतो को ही समझ सकता है | इन विद्युत्  संकेतो को ऑफ़ और (0 ) शून्य  व  ऑन या 1 (एक)  द्वारा प्रदर्शित किया जाता है | इन अंको के बाइनरी अंक कहते है | कंप्यूटर केवल इन बाइनरी अंको में दिए गए निर्देशों को समझ सकता है | इन बाइनरी अंको से बनी लैंग्वेज को हम मशीन लैंग्वेज कहते है | जैसे -  01001000110011


2 असेंबली लैंग्वेज  (Assembly Language )

असेंबली  लैंग्वेज वे भाषाएँ होती है जो पूरी तरह से मशीन लैंग्वेज पर आधारित होती है | लेकिन इनमे 0 व 1  की सीरीज के स्थान पर अंग्रेजी के कुछ अक्षरों व कुछ चुने हुए शब्दो  का कोड के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है | इन कोडो  को नेमोनिक कोड और शाब्दिक कोड के नाम से जाना जाता है| 

3 हाई लेवल लैंग्वेज  (High Level Languages)

जैसा की लो-लेवल  लैंग्वेज के लिए बताया गया की प्रोग्राम लिखने के लिए कंप्यूटर की आंतरिक कार्यप्रणाली का ज्ञान होना जरुरी है |  दूसरा प्रत्येक कंप्यूटर की अपनी अलग मशीनी  भाषा और असेंबली भाषा होती है | अतः एक तरह के कंप्यूटर के लिए इन भाषाओ में लिखा गया प्रोग्राम दूसरी तरह के कम्पूटरो के लिए बेकार हो जाता है |  अतः ऐसी प्रोग्रामिंग  भाषाओ का विकास  किया गया जो सिस्टम की आंतरिक कार्यप्रणाली पर आधारित न हो और जिनमे लिखे  गए प्रोग्रामोंको  किसी भी प्रकार के सिस्टम पर चलाना  संभव हो | इन भाषाओ को हाई लेवल भाषा कहा  जाता है | हाई लेवल प्रोग्रामिंग  भाषा में इंग्लिश के चुने हुए  शब्दों व  साधारण गणित में प्रयोग किये जाने वाले चिन्हो का प्रयोग किया जाता है | इन भाषाओ में प्रोग्राम लिखना उनमे गलतियों का पता लगाना और उनको सुधारना लो लेवल भाषा की तुलना में आसान होता है | सभी प्रोग्राम हाई लेवल भाषा में ही लिखे जाते है | 

हाई  लेवल प्रोग्रामिंग  भाषाओ को भी उनकी प्रकृति के अनुसार दो श्रेणियों  में बांटा  जा सकता है | 

1 विधि  अभिमुखी भाषाएँ ( Procedure Oriented Languages ) 
2 समस्या अभिमुखी भाषाएँ ( Problem Oriented Languages ) 

प्रमुख हाई लेवल लैंग्वेज 

1 बेसिक 
2 फोरट्रॉन 
3 लोगो 
4 कोबोल 
5 पास्कल 
6 सी 
7 सी ++
8 अल्गोल 
9 पायलट 
10 स्नोबॉल 
11 प्रोलॉग फोर्थ जनरेशन लैंग्वेज (4 जीएल )

इंटरनेट 




परिचय  (Introduction) 

इंटरनेट से तात्पर्य  एक ऐसे नेटवर्क से है  जो दुनिया भर के लाखों  करोङो  कम्पूटरो से जुड़ा है |  कहने का मतलब यह है कि  किसी नेटवर्क का कोई सिस्टम किसी अन्य नेटवर्क के सिस्टम से जुड़ कर  कम्यूनिकेट कर सकता है | अर्थात सूचनाओं का आदान प्रदान कर सकता है |  सूचनाओं के आदान -प्रदान के लिये  जिस नियम का प्रयोग किया जाता है उसे ट्रांसमिशन कण्ट्रोल प्रोटोकॉल या इंटरनेट प्रोटोकॉल  कहा  जाता है 


इंटरनेट की सेवायें   

इसकी सेवाओं में कुछ का जिक्र यहां  किया जा रहा है -

फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल  (File Transfer Protocol/ FTP)  - फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (FTP) का उपयोग एक कंप्यूटर नेटवर्क से किसी दूसरे कंप्यूटर नेटवर्क में फाइलों को ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है | 


इलेक्ट्रॉनिक मेल  ई -मेल (Electronic E-Mail)    - इसको संक्ष्पित  रूप से ई -मेल  कहा जाता है | इस माध्यम के द्वारा बड़ी से बड़ी सूचनाओं व  संदेशो को इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली द्वारा प्रकाश की गति से भेजा या प्राप्त  किया जा सकता है |  द्वारा पत्र, ग्रीटिंग या  सिस्टम प्रोग्राम को दुनिया के किसी  भी हिस्से में भेज सकते है | 



गो -फ़ोर (Gofor) - यह एक यूजर फ्रेंडली इंटरफ़ेस है | जिसके जरिये यूजर, इंटरनेट पर प्रोग्राम व सूचनाओं का आदान प्रदान किया जा सकता है | गोफर के द्वारा इंटरनेट की कई सेवाएं आपस में जुड़ी  होती है | 

वर्ल्ड वाइड वेब(World-Wide-Web / WWW) - इसके द्वारा यूजर अपने या अपनी संस्था आदि सम्बंधित सूचनाएं दुनिया में कभी भी भेज सकता है, और अन्य यूजर उससे सम्बंधित जानकारियां  प्राप्त कर  सकता है | 




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